hindisamay head


अ+ अ-

कविता

मेरी डायरी

प्रतिभा कटियार


कोई चुनाव लड़ने को टिकट तलाश रहा है
कोई पत्रकारिता की साख तलाश रहा है
कोई स्त्री घर में, घर के बाहर सुरक्षा तलाश रही है
कोई लेखक पाठक तलाश रहा है
कोई पाठक भटक रहा है मनचाही रचना की तलाश में
कोई जीवन के अर्थ तलाश रहा है
एक मौसम तलाश रहा है खिलखिलाकर झर जाने को आँचल
एक मुसाफिर खो जाने को अजनबी रास्ता तलाश रहा है
धरती पल भर को टिक सके ऐसा कंधा तलाश रही है
मोहब्बत वफा तलाश रही है
और मैं चाभियाँ तलाश रही हूँ हमेशा की तरह
जाने मैं चाभी खोना कब बंद करूँगी
जाने कब दुनिया के सारे ताले गुम हो जाएँगे...।
 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में प्रतिभा कटियार की रचनाएँ